Wednesday, August 6, 2008
जीने के इशारे..........
जिंदगी है दुआ रब की अदा केह के शुक्रिया जी लो ना,
लाये थे जी क्या ले जायें भी क्या,
केह के शुक्रिया लो ना.
रंगीन हैं कभी बेरंगीन है,
कभी तो हस्ते-हस्ते आंखों को रुलाये .
बनती है कभी बिगड़ती है,
चलते-चलते कुछ ये सिखाए.
है हसीं ये लम्हे,
जो मिले कम है.
ऐसे वैसे यूहीं कहीं देखो कभी
बेवजह हम ना गवाएँ.
अरमान से सजी ये दुल्हन है,
इससे हम तन्हाई में कैसे फिर बिताएं?
ख़्वाबों को जगाके आँखों में
उमीदों का आँचल हम ओधायें.
पल-पल में ढली हलचल में चली,
डूबी डूबी खोयी खोयी जागी जागी सोयी सोयी गुज़री जाए.
जिंदगी है दुआ रब की अदा केह के शुक्रिया जी लो ना,
लाये थे जी क्या ले जायें भी क्या,
केह के शुक्रिया लो ना.
ये "दिल ने जिसे अपना कहा" फ़िल्म का एक गाना है. संगीत ऐ.आर .रहमान जी का है और जब भी मैं इस गाने को सुनती हूँ तो मनन सशक्त हो जाता है.. वाकई में कितना अर्थ है इस गाने में.....
सच में प्रोत्साहन देने वाला गीत है यह.. :)
ReplyDeleteji haan.....vakai.....
ReplyDeleteati sundar.kafi utsahwardhak geet hai
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