उम्मीद ओर उम्मीद बस यही जलाए रखिये....
यह कविता तो जापानी-हाइकु जैसी लगती है । छोटी पर गहरी । अर्चना जी, आशा ख़ुद ही मरहम होती है । आशा से बड़ा मरहम कोई नहीं होता ।
वक्त ऐसा मरहम है मुफत में मिल जाता है।घाव कितना गहरा हो, कुछ दिन में भर जाता है।
यहाँ किसी को कोई रास्ता नहीं देतामुझे गिरा के अगर तुम संभल सको तो चलो-निदा फाजली का ये शेर आपकी चाहत को काट रहा हैलेकिन फिर भी आपकी मरहम की चाहत सूखती हुई इस दुनिया में कुछ पानी बचा होने की उम्मीद जगाती हैachchha laga-www.chiragjain.com
haan ji aap sab ne bilkul sahi kaha. aapke comments ke liye dhanyvaad
अच्छा लिखा .कभी कभी दूसरो को मलहम लगते लगते ख़ुद का भी इलाज हो जाता है
लाख कोशिशें की फिर भी न भुला पाया....ये क्या विडम्बना है ?इस टूटे दिल को न समेट सका न उनको वापस जोड़ सका,एक आशा है , फिर भी......कोई इस टूटे दिल पर मरहम तो लगा दे! ये आपके शब्द मेरे लिये भी समान हैं आप की किस्मत सही रही होगी कि वेल्लूर के VIT में दाखिला मिल गया एक हम रहे कि सपने ही सजोते रह गये … जी तोड़ मेहनत की VIT के लिये और मुफ़्त मे पहुँच गये कही और … खैर यही तो ज़िन्दगी है फिर भी आशा है कि कोई इस टूटे दिल पर मरहम लगा दे! आशा है आपसे VIT की यादों की झलक देखने को मिल जायेगी आपने तो हक़ीकत लिखा है
sahi kaha........ manish ji. thank u......
Post a Comment
8 comments:
उम्मीद ओर उम्मीद बस यही जलाए रखिये....
यह कविता तो जापानी-हाइकु जैसी लगती है । छोटी पर गहरी । अर्चना जी, आशा ख़ुद ही मरहम होती है । आशा से बड़ा मरहम कोई नहीं होता ।
वक्त ऐसा मरहम है मुफत में मिल जाता है।
घाव कितना गहरा हो, कुछ दिन में भर जाता है।
यहाँ किसी को कोई रास्ता नहीं देता
मुझे गिरा के अगर तुम संभल सको तो चलो
-निदा फाजली का ये शेर आपकी चाहत को काट रहा है
लेकिन फिर भी आपकी मरहम की चाहत सूखती हुई इस दुनिया में कुछ पानी बचा होने की उम्मीद जगाती है
achchha laga
-www.chiragjain.com
haan ji aap sab ne bilkul sahi kaha. aapke comments ke liye dhanyvaad
अच्छा लिखा .कभी कभी दूसरो को मलहम लगते लगते ख़ुद का भी इलाज हो जाता है
लाख कोशिशें की फिर भी न भुला पाया....
ये क्या विडम्बना है ?
इस टूटे दिल को न समेट सका न उनको वापस जोड़ सका,
एक आशा है , फिर भी......
कोई इस टूटे दिल पर मरहम तो लगा दे!
ये आपके शब्द मेरे लिये भी समान हैं
आप की किस्मत सही रही होगी कि वेल्लूर के VIT में दाखिला मिल गया एक हम रहे कि सपने ही सजोते रह गये …
जी तोड़ मेहनत की VIT के लिये और मुफ़्त मे पहुँच गये कही और …
खैर यही तो ज़िन्दगी है फिर भी आशा है कि कोई इस टूटे दिल पर मरहम लगा दे!
आशा है आपसे VIT की यादों की झलक देखने को मिल जायेगी
आपने तो हक़ीकत लिखा है
sahi kaha........ manish ji. thank u......
Post a Comment