Monday, July 28, 2008

नैना का रहस्य

आप सब शायद पढ़ कर ऐसा लगा हो की नैना सच में मेरी जिंदगी में कोई है. पर ऐसा कुछ नही है. कुछ सत्य और कुछ ख्वाब, इन सब को मिला कर बनी थी नैना. और ये मेरी सबसे पहली हिन्दी कहानी है जो मैंने अपने कॉलेज के प्रथम वर्षा में लिखी थी. सच कहूँ तो मुझे इस नाम " नैना" से प्यार है. नैना ने मुझे एक पहचान दी, नए दोस्त भी दिए और यही कहानी, २००६ में " दैनिक जागरण" पत्रिका, जमशेदपुर सप्प्लिमेंट मे प्रकाशित हुई. सच कहूँ तो मैंने कई बार कोशिश की पर इस कहानी जैसा कभी न लिख पायी.

1 comment:

PD said...

जो भी कहो.. बहुत बढ़िया कहानी थी..
मुझे अच्छी लगी.. :)